________________
११०
जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रयोग साथ भाव-जगत् का सम्बन्ध नहीं जुड़ेगा तब तक न उपद्रव मिटेंगे, न हड़तालें समाप्त होंगी और न अनुशासन आएगा। हम बुद्धि के शस्त्र को तेज करते जा रहे हैं। उसका काम है काटना। नंगी तलवार बहुत खतरनाक होती है। उसके लिए म्यान चाहिए । म्यान में पड़ी तलवार खतरनाक नहीं होती । बुद्धि को हमने नंगी तलवार तो बना डाला है। अब उस पर म्यान का खोल डालना आवश्यक है, जिससे कि सीधा खतरा न हो। यह है भाव - जगत् की प्रक्रिया ।
भावात्मक विकास का एक पहलू है- नैतिक विकास। इसके दो रूप हैं- सामाजिक नैतिकता और वैयक्तिक नैतिकता । एक समाज या संस्था कुछ नियम, उप-नियम बनाती है। वह ध्यान नहीं रखती कि व्यक्ति की वासना वृत्तियां, संवेग कैसे हैं ? विचार किए बिना वह नियम बना देती है । यह सामाजिक नैतिकता और अनुशासन है। साम्यवादी देश का एक नैतिक सूत्र बन गया है कि व्यक्तिगत स्वामित्व न हो। उसमें व्यक्तिगत वृत्तियों, वासनाओं और संवेगों का ध्यान नहीं रखा गया। आखिर व्यक्ति व्यक्ति होता है। उसमें वासना है, लोभ की वृत्ति है । उसकी उपेक्षा कर व्यक्तिगत स्वामित्व का नियंत्रण कर दिया। उसका परिणाम यह हुआ कि वह आर्थिक दौड़ में पिछड़ गया। इसमें व्यक्तिगत स्वार्थ अधिक हो जाता है, पुरुषार्थ कम हो जाता है। फलत: आर्थिक पिछड़ापन आ जाता है।
वैयक्तिक नैतिकता का अर्थ है - व्यक्तिगत संवेगों और वृत्तियों पर नियन्त्रण
करना ।
शिक्षा के साथ दोनों प्रकार की नैतिकताओं का सम्बन्ध होता है। विद्यार्थी समाज में जीता है। उसे सामाजिक प्राणी बनना है। उसको समाज के नियमों को मानना है, राष्ट्र के नियमों का भी पालन करना है, क्योंकि वह राष्ट्र में रहता है। यदि शिक्षा के द्वारा उसकी यह मानसिकता नहीं बनती है तो वह अच्छा विद्यार्थी नहीं बन सकता। इससे भी अधिक जरूरी है संवेगों पर नियन्त्रण करना। यह नैतिकता का महत्त्वपूर्ण बिन्दु है। यह शिक्षा के साथ जुड़े।
शिक्षा के साथ मानसिक शक्ति के विकास की बात भी जुड़ी होनी चाहिए। इस शक्ति का विकास जिस राष्ट्र, समाज या व्यक्ति में नहीं होता वह कमजोर हो जाता है। आज के व्यक्ति में मनोबल का विकास और भावात्मक विकास - दोनों न्यून हैं। शिक्षाशास्त्री इनके विकास के लिए नई-नई पद्धतियां प्रस्तुत कर रहे हैं। आज अपेक्षा है कि सामाजिक परिवेश बदले और वर्ग संघर्ष, वैमनस्य आदि समस्याओं का समाधान हो। इसके लिए भावात्मक विकास अपेक्षित
है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org