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जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रयोग प्रामाणिक व्यवहार जीवन का आधार है। इससे व्यक्तित्व निखरता है।
जीवन-विज्ञान की शिक्षा पद्धति में विद्यार्थी को प्रामाणिक जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। यदि सत्य के ये पांचों अर्थ विद्यार्थी के जीवन में समाविष्ट होते हैं तो वह विद्यार्थी राष्ट्र का उन्नत नागरिक बन सकता है और उसका व्यक्तित्व समाज के लिए दीप-स्तंभ बन सकता है।
अभ्यास जीवन विज्ञान के प्रयोगों से परिवार और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है : स्पष्ट करें। सामाजिक जीवन पद्धति को बदलने के लिए सामाजिक शिक्षा के साथ प्रेक्षाध्यान के प्रयोग क्यों जरूरी हैं ? जीवन विज्ञान की पद्धति वैज्ञानिक कैसे है ? स्पष्ट करें। सत्य के पांच प्रकार कौन से हैं ? उनमें कितने प्रकार सामाजिक जीवन से जुड़े हुए हैं ?
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