SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सत्य का ठेका नहीं ले सकता, क्योंकि सत्य अनंत है। सत्य के प्रति यह ऋजु दृष्टिकोण व्यक्ति को कभी सांप्रदायिक नहीं बनने देता। मेरी दृष्टि में सत्य के प्रति ऋजु दृष्टिकोण रखनेवाला व्यक्ति ही सच्चा धार्मिक है। तेरापंथ के आद्यप्रणेता आचार्य भिक्षु ने संप्रदाय में असंप्रदाय की साधना का सूत्र देकर सचमुच हमारा बहुत उपकार किया है। उनसे यह सूत्र हमें विरासत के रूप में प्राप्त नहीं होता तो शायद आज हम इतनी व्यापक दृष्टि से कार्य नहीं कर पाते। मैंने यह अनुभव किया है कि जो भी व्यक्ति व्यापक दृष्टि से कार्य करता है, उसे जनता का प्यार मिलता है, विश्वास मिलता है। वह उसका पथ-दर्शन स्वीकार करके आगे बढ़ने के लिए तैयार होती है। अपेक्षा है, सभी धर्माचार्य, धर्माधिकारी इस बिंदु पर गंभीरता से चिंतन करें। नोहर २२ फरवरी १९६६ धर्म का स्वरूप ६३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003107
Book TitleAage ki Sudhi Lei
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy