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कथाओं/घटनाओं/दृष्टांतों की सांकेतिका
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पंडित जगन्नाथजी दो मासा सोना (कपिल मुनि) भोजन भट्ट एक कुआं ही काफी था साढ़े तीन हाथ जमीन मनाही क्यों करूं अवसर के मंहगे मोती डाम नहीं तो घोड़े नहीं भूल का प्रायश्चित्त घटकुट्यां प्रभातम् खाती और डूम आत्म-दर्शन ही परमात्मदर्शन है (रामकृष्ण) मेरे पैर उधर कर दो (नानक) हकूमत की सेवा चाहिए! रुपया बिछुड़ना नहीं चाहता (कंजूसवृत्ति) दूध का तालाब कड़वी दवा गर्दन कट तो भी त्याग नहीं तोडूंगा अभय और अहिंसा (राजा संजय) हाथी कैसा है रावजी के मूर्ख स्वामिभक्त पुत्र-हत्यारे को भोजन अच्छे बाबा बने! सुलस निर्लोभता की निष्ठा
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