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________________ जाती है। फिर वे पाप करने में प्रवृत्त नहीं होते, संसार की मोह-माया में फंसे नहीं रहते। धर्म व्यक्ति-व्यक्ति को जागरण का संदेश देता है। आगे की सुध लें बंधुओ ! आप भी अपनी आत्मा को जगाएं, प्रमाद से उपरत बनें। हालांकि जब तक प्राणी को बोध नहीं हो जाता, वह जागरण की कीमत नहीं आंक लेता, तब तक उसका प्रमाद से छूटना असंभव है, तथापि जिस दिन, जिस क्षण वह बोध को प्राप्त हो जाता है, जागरण का संदेश सुन लेता है, उसे प्रमाद से उपरत हो जाना चाहिए। यह बहुत प्रसिद्ध कहावत है - जब जागे तभी सवेरा । जागरण ही जीवन का सूर्योदय है, प्रभात है । थावच्चापुत्र जैसे न जाने कितने-कितने प्राणियों ने आज तक अवबोध प्राप्त कर अपने जीवन में सवेरा किया है, सूरज उगाया है; और इस सूर्योदय ने उनके अनंत काल तक प्रमाद में सोने का अवसाद धोया है। संत जन स्वयं जागरण का जीवन जीते हैं और जन-जन को जागरण का संदेश सुनाते हैं । उनका संदेश सुनकर आप भी संभलें, अपने जीवन का चालू प्रवाह मोड़ें, आगे की सुध लें। यह सुध आपके जीवन में सौभाग्य-र - सूरज उगाएगी। आपके जीवन का कण-कण आलोकित हो उठेगा। सूरतगढ़ १० मई १९६६ आगे की सुधि लेइ Jain Education International For Private & Personal Use Only २८९ • www.jainelibrary.org
SR No.003107
Book TitleAage ki Sudhi Lei
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size13 MB
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