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और उसे अच्छा समझते हैं ? सच्चे धार्मिक बनें
हमारा धर्म जाग्रत धर्म है। अंध परंपराओं में हमारा विश्वास नहीं है। हम धार्मिक उन्हें मानते हैं, जो पाप करने में संकोच करते हैं, जिनकी
आत्मा को पाप हो जाने की स्थिति में प्रायश्चित्त न कर लेने तक चैन नहीं मिलता। ऐसे धार्मिक ही धर्म की आराधना कर सकते हैं। बंधुओ! आप भी इस अर्हता प्राप्त करें, सच्चे धार्मिक और आस्तिक बनें। पग-पग पर आपका मंगल निश्चित है।
सूरतगढ़ ९ मई १९६६
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- आगे की सुधि लेइ
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