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सुख की उपलब्धि हो जाएगी।
आपको कौन-सी धारा इष्ट है, यह आप स्वयं सोचें। हमारा काम रास्ता बताने का है। उस पर चलने का काम आपका है। यदि कोई मुझसे पूछे कि आपकी दृष्टि में कौन-सा मार्ग अच्छा है तो मैं उसी मार्ग का निर्देश करूंगा, जिस पर मैं स्वयं चलता हूं। आपको दूसरा मार्ग बताऊं और मैं स्वयं दूसरे पर चलूं. यह बात ठीक नहीं है। इसलिए आपको वही मार्ग बताऊंगा, जिस पर चलकर मैं स्वयं आनंद का अनुभव कर रहा है।
वह रास्ता बिलकुल सही है, पर इसलिए नहीं कि उस पर मैं चल रहा हूं। वह सही इसलिए है कि उस मार्ग पर चलनेवाला हर व्यक्ति सुख
और आनंद की प्राप्ति के लक्ष्य तक पहुंचता है। इसलिए मैं चल रहा हूं, यह बात गौण है। इस 'मैं' का व्यामोह भी अच्छा नहीं है। इसलिए तटस्थ होकर मैं आपको मार्ग का संकेत दे रहा हूं। सुख का मार्ग-वृत्तिसंक्षेप
__ वह मार्ग है-संयम का। वह मार्ग है-वृत्तिसंक्षेप का। वृत्तियां अनेक प्रकार की हैं। उनका विस्तार इतना है कि हम माप नहीं सकते। उन्हें संक्षिप्त करने से सुख मिलता है। संक्षेप कहां तक हो, इस प्रश्न के समाधान में जीवन की अनिवार्य आवश्यकताओं तक पहुंचना होगा। आपको भूख लगी है। ऐसी स्थिति में यदि आप भोजन नहीं करते तो आपको सारे काम बंद हो जाते हैं। इसलिए खाना जरूरी है, पर यह तो आवश्यक नहीं है कि आप दिन-भर खाते ही रहें, खाद्य-पदार्थों का अनावश्यक संग्रह करते रहें। अनावश्यक संग्रह व्यक्ति तभी करता है, जब वह अनावश्यक अपेक्षाएं पालता है। इसलिए अनावश्यक संग्रह का सीधासा अर्थ है-अनावश्यक अपेक्षाओं का संग्रह। संग्रह : दुःख का कारण
मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप अनावश्यक अपेक्षाओं का संग्रह क्यों करते हैं; क्या इससे आपको सुख मिलता है। नहीं, इससे सुख नहीं मिल सकता। अमेरिका का उदाहरण आपके समक्ष है। वहां के लोगों के पास धन का विपुल संग्रह है, पर इसके बावजूद वे सुखी नहीं हैं, बल्कि इस संग्रह के कारण अत्यंत दुखी हैं। इतने दुखी कि आपमें से बहुत-से लोग उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। मानसिक
आकांक्षाओं का संयम
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