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________________ व्यक्ति की भर्त्सना नहीं है। इसलिए अपेक्षा है कि इस दिशा में विशेष जाग्रति लाई जाए। राजनीतिक दलों का गलत रवैया विद्यार्थियों को गुमराह करने में राजनीतिक दलों का भी कम हाथ नहीं है। अपना दल बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों के मन में दूसरे-दूसरे दलों के प्रति घृणा पैदा करना, तोड़-फोड़ एवं हत्याकांड में उन्हें साथ लेना उन पर बहुत बड़ा अत्याचार है। बहुत गहरे में तो ऐसा करना राष्ट्र का बड़ा अहित करना है। जिस-किसी दल को सचमुच ही राष्ट्र की चिंता है, वह कभी ऐसा नहीं कर सकता। वह तो इस संपत्ति की सुरक्षा को राष्ट्र की सुरक्षा मानता हुआ अपना आचरण और व्यवहार सुनिश्चित करेगा। अच्छाइयों को प्रोत्साहन मिले विद्यार्थियों के जीवन-निर्माण की दृष्टि से उनके कुसंस्कार छुड़ाना जितना आवश्यक है, उससे भी अधिक आवश्यक और महत्त्वपूर्ण है, उनके नैतिकता, प्रामाणिकता-जैसे सुसंस्कारों को प्रोत्साहित करना। विदेशों में यह कानून बन रहा है कि जो विद्यार्थी वेश-भूषा से सादे रहेंगे, उन्हें पांचपांच अंक अधिक मिलेंगे। इसी परिप्रेक्ष्य में यह भी सोचा जा सकता है कि जो विद्यार्थी व्यवहार में नैतिक व प्रामाणिक रहेंगे, उन्हें इतने-इतने अंक अधिक मिलेंगे। ऐसे प्रयोग नैतिकता और प्रामाणिकता के संस्कार जाग्रत और विकसित करने की दृष्टि से बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। एक अभिनव प्रयोग नैतिकता को प्रयोगात्मक रूप देने के लिए दिल्ली में अणुव्रतविहार काम कर रहा है। वहां शिक्षालयों में स्वशासित स्टोर खुल रहे हैं। उनमें विद्यार्थियों के लिए उपयोगी चीजें रहती हैं। साथ ही मूल्यसूची भी रख दी जाती है। वहां कोई विक्रेता या निरीक्षक नहीं रहता। विद्यार्थी अपनी-अपनी आवश्यकता की चीज लेते हैं और उसका मूल्य पेटी में डाल देते हैं। यह प्रयोग आज तक के अनुभवों के आधार पर काफी सफल रहा है। इस प्रकार के प्रयोगों का उद्देश्य यह है कि किसी तरह नैतिकता का विकास हो। पाठ जीवन में उतरे जीवन-निर्माण की दृष्टि से सर्वाधिक सजग स्वयं विद्यार्थियों को होने विद्याध्ययन : क्यों : कैसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003107
Book TitleAage ki Sudhi Lei
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size13 MB
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