SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आत्मस्थ बनूंगा। ४. मैं दूसरों को आत्मस्थ बनाऊंगा। इन चारों बातों को लक्ष्य बनाकर विद्यार्थियों को अध्ययन करना चाहिए। यदि लक्ष्य सही होगा तो उनके सामने भटकन की स्थिति पैदा नहीं होगी, अन्यथा जब कभी भटकाव पैदा हो सकता है। अध्यापन आत्मधर्म है अध्यापक भी अध्यापन के संदर्भ में अपनी दृष्टि स्पष्ट रखें, सम्यक रखें। उनसे मैं एक ही वाक्य में कहना चाहता हूं कि वे अध्यापन को आजीविका का साधन नहीं, अपितु आत्म-धर्म मानें। किंतु इसका अर्थ यह नहीं कि उन्हें पारिश्रमिक नहीं लेना चाहिए। पारिश्रमिक लेने का निषेध मैं नहीं करता, पर वह गौण बात है। मुख्य बात है-अपना आत्मधर्म निभाना। जहां आत्म-धर्म मानकर अध्ययन कराया जाता है, वहां पारिश्रमिक मिलने में लगभग कोई कमी नहीं रहती। कदाचित रहे भी तो अपना आत्मधर्म विस्मृत नहीं करना चाहिए, उसे गौण नहीं बनाना चाहिए। शिक्षा का पात्र कौन विद्या का पात्र कौन है, इस प्रश्न के उत्तर में उत्तराध्ययन सूत्र में बताया गया है वसे गुरुकुले णिच्चं, जोगवं उवहाणवं। पियंकरे पियंवाई, से सिक्खं लछुमरिहई॥ - विद्यार्थी गुरुकुल में रहे। वह योगी और तपस्वी बनकर रहे । प्रिय काम करे और प्रिय बोले। सचमुच ऐसा करनेवाला ही शिक्षा का अधिकारी है। विद्यार्थी सच्चा योगी होता है। चलना, बैठना, हंसना, बोलना आदि उसकी सारी क्रियाएं संयत होनी चाहिए। आज के विद्यार्थी संयम से नहीं रहते, अतः वे सच्चे योगी नहीं हैं। मैं चाहता हूं कि विद्यार्थी अपने विद्यार्थीकाल में योगी बने रहें। विद्यार्थी को तपस्वी भी कहा जाता है। तपस्वी कौन होता है? तपस्वी वह होता है, जो कष्ट सहन करे। विद्यार्थीकाल में अनेक कष्ट आते हैं। कष्ट सहन किए बिना विद्या फल नहीं सकती। केवल किताबी विद्या से जीवन का विकास नहीं हो सकता, पर कैसी बात है कि आज यह भ्रम पाला जा रहा है! मैं समझता हूं, जब तक • १८८ - आगे की सुधि लेइ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003107
Book TitleAage ki Sudhi Lei
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy