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एक व्यक्ति किसी को हजार रुपए देता है। दूसरा व्यक्ति उसकी शराब छुड़ाता है। मैं मानता हूं, पहले व्यक्ति की तुलना में दूसरा व्यक्ति महान उपकारी है। इस क्रम से हर व्यक्ति शराब-मुक्ति के इस यज्ञ में अपनी आहुति दे सकता है। जिस प्रकार घट के भरने में पानी की हर बूंद महत्त्वपूर्ण है, उसी प्रकार हर-एक व्यक्ति की यह आहुति इस यज्ञ की सफलता में महत्त्वपूर्ण है। इस यज्ञ की सफलता के साथ समाज और राष्ट्र के सुधार की अनेक-अनेक संभावनाएं भी जुड़ी हुई हैं। अस्तु, व्यक्ति, समाज और राष्ट्र-तीनों के हितों से जुड़ा यह कार्यक्रम हम, आप और सबके सहयोग से आगे बढ़ेगा, ऐसी आशा करता हूं।
श्रीगंगानगर २९ मार्च १९६६
श्रद्धा और आचार की समन्विति
१५३.
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