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भावक्रिया-(५) भावक्रिया ध्यान का साधन भी है और स्वय ध्यान भी है।
वह जीवन की सफलता है और स्वयं की सफलता है। ध्यान का प्रयोग कालबद्ध है। कोई भी व्यक्ति २४ घण्टे ध्यान नहीं कर सकता। भावक्रिया का प्रयोग काल से प्रतिबद्ध नहीं है। वह दीर्घकाल तक किया जा सकता है। २४ घण्टे भी किया जा सकता है। चलते-फिरते, उठते-बैठते, खाते-पीते हर क्रिया के साथ प्रयोग हो सकता है। जरूरी है अभ्यास और संकल्प। उसके बिना वह संभव नहीं।
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०७ फरवरी
२०००
(भीतर की ओर
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