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मंत्र जप : दिव्य अनुभूति एकान्त पवित्र स्थान। स्वच्छ आसन पर प्रतिदिन आधा से एक घण्टा तक ध्यान करो। आनन्दकेन्द्र पर सुनहरे अक्षरों में मंत्र लिखो। उसका उच्चारण करो और कुछ समय बाद उसे एकाग्रता के साथ देखो। दृष्टि उस पर स्थिर रहे। ध्यान लक्ष्य पर बना रहे।
एक मास के सघन प्रयोग के बाद अक्षर के स्थान पर दिव्य अनुभूति होगी।
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०४ नवम्बर
२०००
(भीतर की ओर)
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