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लयबद्ध दीर्घश्वास श्वास के प्रयोगों में लयबद्ध दीर्घश्वास का प्रयोग बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे एकाग्रता सघन होती है। श्वास की लय बन जाती है। आन्तरिक विकास के लिए यह बहुत जरूरी है।
कायोत्सर्ग की मुद्रा में बैठकर श्वास का पूरण, रेचन, अन्तःश्वास-संयम और बायश्वास- संयम चारों किए जाते हैं। इन चारों के प्रयोग में पहली बार जितना समय लगे, दूसरी बार भी उतना ही समय लगे। प्रत्येक आवृत्ति में उतना ही समय लगे।
- ८ सैकण्ड अन्तःश्वास-संयम - ८ सैकण्ड रेचन
- ८ सैकण्ड बाध्यश्वास-संयम ~~ ८ सैकण्ड
अभ्यास का कालमान सुविधा के अनुसार बढ़ाया जा सकता है।
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०७ अक्टूबर
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