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ठठठठठळ
सुषुम्ना जागवण ध्यान और एकाग्रता के लिए सुषुम्ना की जागृत अवस्था बहुत अधिक उपयोगी है। नाक के दोनों छिद्रों के बीच नासिका अस्थि सुषुम्ना द्वार है। वह प्राणवायु को सहसार तक पहुंचाने का मार्ग है। श्वास लेते समय जागरूक रहना जरूरी है।
श्वास नासिका के मध्यद्वार से टकराता हुआ जाए यही जागरूकता का मुख्य बिन्दु है। श्वास वापस आए तब उसे नासिका-मूल-दर्शन केन्द्र के निम्न भाग में रोकें। इस प्रयोग से सुषुम्ना का जागरण सरलता से हो जाता है।
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०४ अक्टूबर
२०००
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_ भीतर की और 2___
(भीतर की ओर)
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