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अनुशासन की भूमिका के फलित
कायिक अनुशासन कायोत्सर्ग के अभ्यास से कायिक अनुशासन सिद्ध होता है। आसन सिद्धि हो जाती है। आधा घण्टा अथवा एक घण्टा तक स्थिर बैठने की स्थिति सध जाती है।
वाचिक अनुशासन-दीर्घश्वास के अभ्यास से मौन की योग्यता विकसित हो जाती है। छोटा श्वास मन को चंचल बनाता है। मानसिक चंचलता से मौन भंग हो जाता है।
मानसिक अनुशासन-श्वास और अन्तर्यांना के प्रयोग से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।
इन सबकी सिद्धि के लिए दीर्घकालिक अभ्यास जरूरी है, इसलिए निर्दिष्ट अवधि का अभ्यास करें।
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२६ सितम्बर
२०००
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(भीतर की ओर
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