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जागृत अवस्था योग विद्या के अनुसार तीन शक्तिकेन्द्र हैं। इनमें शक्तिकेन्द्र (मूलाधार) प्रथम है। यह शरीर की ऊर्जा का आधार है, स्रोत है, मनुष्य के विकास का पहला स्थान है और पशु-जगत के विकास का अंतिम सोपान है। प्रत्येक चैतन्यकेन्द्र की दो अवस्थाएं होती हैं-सुप्त और जागृत। सुप्त अवस्था में वह निष्क्रिय होता है और जागृत अवस्था में सक्रिय। विकास के परिणाम जागृत अवस्था में ही सामने आते हैं।
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२८ अगस्त
२०००
(भीतर की ओर)
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