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जैविक घड़ी-(a) साधना के लिए ऋतुचक्र का ज्ञान भी जरूरी है। उपाध्याय मेघविजय ने ऋतुचक्र के विषय में एक संक्षिप्त सूचना दी है। उनके अनुसार दिन-रात के चौबीस घण्टों में छः अतुओं का चक्र पूरा होता है। समय
ऋतु दिन का प्रथम प्रहर वसन्त मध्यान
ग्रीष्म अपराह
प्रावृद संध्या
वर्षा आधी रात
शरद अपर रान
हेमन्त
०६ अगस्त
२०००
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भीतर की ओर
-भीतर की ओर
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२५
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