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आकाश तत्त्व
आकाश तत्व का स्थान है विशुद्धि केन्द्र (विशुद्धिचक्र)। शरीर के पोले भाग में यह तत्त्व विद्यमान है। मध्यमा अंगुली को अंगूठे से दबाने पर शरीर में आकाश तत्त्व सक्रिय होता है। इसकी सक्रियता से आध्यात्मिक जागरण होता है, शरीर कान्तिमय बनता है और स्वभाव में उदारता आती है।
पुपपुस, यकृत और पित्ताशय पर इसका नियन्त्रण है। इसके आधिवय से निराशा, चिड़चिड़ापन, गुस्सा और मानसिक बीमारियां होती हैं। इस तत्त्व का प्रभुत्व होने से मानसिक . शक्तियों का जागरण होता है।
०४ जुलाई २०००
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