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अग्नि तत्त्व अग्नि तत्त्व का स्थान है तैजसकेन्द्र (मणिपुर चक्र)। रक्तवाहीनियों में आग्नेय परमाणु विद्यमान रहते हैं। अग्नि तत्त्व का स्थान है अंगूठा। तर्जनी अंगुली को अंगूठे से दबाने पर शरीर में अग्नि तत्त्व सक्रिय होता है।
हदय और आंतों पर इस तत्त्व का नियन्त्रण है। इसकी अधिकता से कब्ज, शरीर पर धब्बे आदि शारीरिक बीमारियां होती हैं। इसकी कमी से छोटी आंत प्रभावित होती है। यह तत्त्व भूख, प्यास, नींद और आलस्य को दूर कर देदीप्यता प्रदान करता है। इस तत्त्व की प्रधानता के समय कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।
२१ जून से २० सितम्बर तक शरीर में अग्नि तत्व की प्रधानता रहती है।
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०२ जुलाई
२०००
(भीतर की ओर
२००
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