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एकामता का परिणाम एक श्वास में २१ बार जप करने का परिणाम
१. दीर्घश्वास का अभ्यास स्वतः हो जाता है। २. फुफ्फुस का व्यायाम अपने आप हो जाता है।
३. निर्विचार अथवा निर्विकल्प ध्यान की साधना भी स्वतः हो जाती है।
अभ्यास के परिपक्व होने पर एक श्वास में बड़े जप-मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है, छोटे जप-मन की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
-ARMINAR
२६ जून
२०००
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_ भीतर की ओर
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