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मंत्र साधना के तीन सोपान मंत्र साधना की तीन अवस्थाएं हैं१. विकल्प-विचारात्मक २. संजल्प-अंतर्जल्प ३. विमर्श-निर्विकल्पक ज्ञान विकल्प प्रारम्भिक अवस्था है। संजल्प की अवस्था में मंत्र का बार-बार मानसिक उच्चारण होता है। उससे मंत्र की अर्थात्मा स्पष्ट होती जाती है।
संजल्प का अभ्यास करते-करते मंत्र देवता के साथ अभेद प्रणिधान हो जाता है। उस अवस्था में ध्येय का साक्षात्कार हो जाता है। वह मन की निर्विकल्प अवस्था है।
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१२ जून २०००
भीतर की ओर
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