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तळवटर
शताब्दी अध्यात्म की
इक्कीसवीं शताब्दी अध्यात्म की शताब्दी होगी — यह स्वर यत्र तत्र सुनाई दे रहा है।
आर्थिक विकास, पदार्थ विकास और यान्त्रिक विकास की दौड़ में अध्यात्म की गति कितनी होगी? कैसे होगी ? इस प्रश्न का उत्तर देना सहज सरल नहीं है ।
विश्व-मानव इन्द्रिय चेतना के स्तर पर जी रहा है। उसका आकर्षण अर्थ, पदार्थ और यन्त्र के प्रति अधिक है।
इन्द्रियातीत चेतना के जागरण के बिना अध्यात्म के प्रति आकर्षण कैसे होगा ?
०१ जनवरी
२०००
भीतर की ओर
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