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अकणवर्ण प्रधान आभामण्डल
जो व्यक्ति तेजोलेश्या प्रधान होता है उसके आभामण्डल में अरुणवर्ण की प्रधानता होती है।
तेजोलेश्या वाले व्यक्ति की भावधारा को समझने के लिए कुछ भावों का उल्लेख आवश्यक है--
१. विनम्र वृत्ति २. अचपलता ३. इन्द्रिय और मन का संयम ४. पापभीरुता ५. सबका हितैषी ६. धर्मप्रियता ७. धर्म में दृढ़ता स्वीकृत भार का निर्वहन।
इन भावों के आधार पर निर्णय किया जा सकता है कि इस व्यक्ति के आभामण्डल में अरुण रंग की प्रधानता है।
२३ मई २०००
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(भीतर की ओर
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