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भाव-विशुद्धि और गंध
हर मनुष्य के शरीर में गंध होती है। उसके आधार पर व्यक्ति के चरित्र का ज्ञान किया जा सकता है। योगी के शरीर में सुगन्ध होती है। ध्यान - काल में भी कभी-कभी सुगंध का अनुभव होता है। जैसे-जैसे लेश्या की विशुद्धि होती है, गंध सुरभि - गंध में बदल जाती है।
१८ मई
२०००
भीतर की ओर
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