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ज्ञानकेन्द्र ज्ञानकेन्द्र चोटी के आसपास का भाग है। हठयोग में इसकी संज्ञा सहसार-चक्र है। यह ज्ञान विकास का मुख्य केन्द्र है। यह स्थान की दृष्टि से सर्वोपरि है और चैतन्य विकास की दृष्टि से इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस स्थान से ज्ञान की सहस रश्मियां प्रस्फुटित होती हैं। इसीलिए इसका नाम सहसार चक्षु रखा गया है। इसकी साधना से समाधि सहज सिद्ध हो जाती है। यह निर्विकल्प समाधि की साधना का प्रमुख बिन्दु है।
१८ अप्रैल २०००
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