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दर्शन केन्द्र-[१] इसका स्थान दोनों भौहों तथा दोनों आंखों के मध्य का भाग है। हठयोग में इसे आज्ञाचक्र कहते हैं। यह अन्तश्चक्षु के जागरण का मर्मस्थान है। इसकी साधना से प्रज्ञा और तीसरे नेन का जागरण होता है। योग साधना में इसका स्थान सर्वोपरि है। यह पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Gland) का स्थान है जो मास्टर ग्लैण्ड (Master Gland) के रूप में जानी जाती है। संभवतः दर्शन केन्द्र का निम्नवतः सभी केन्द्रों पर नियंत्रण है।
१४ अप्रैल
२०००
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(भीतर की ओर
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