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प्राण केन्द्र-(३) नाक घाणेन्द्रिय है। इसके द्वारा गंध का संवेदन होता है। मस्तिष्क का एक भाग जो गंध की पहचान करता है, घाण-मस्तिष्क कहलाता है। इसमें भय, क्रोध, आक्रमण, कामेच्छा आदि के भी केन्द्र अवस्थित हैं। घाणेन्द्रिय से उनके सम्बन्ध की संभावना की जा सकती है।
प्राण केन्द्र पर ध्यान करने का अर्थ है वृत्तियों का परिष्कार। इससे नासाग्र-ध्यान के प्राचीन सून का मूल्य समझने में सुविधा होगी।
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११ अप्रैल २०००
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