SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ किया है। अब यह अवस्था सुख भोगने के लिए नहीं है। जीवन का भरोसा ही क्या है ? पाप के प्रायश्चित्त के लिए जीवन का कुछ भाग लगाना ही होगा। कोशा! तू दिलगीर मत हो। मैंने जो निर्णय किया है वह बहुत ही विचारपूर्वक किया है।' रूपकोशा के नयन-पल्लव आंसुओं से भीग रहे थे। सुनन्दा ने हंसते हुए कहा- 'बेटी! तू चिन्ता मत करना । जब तक तू राजनर्तकी का पद प्राप्त नहीं कर लेती, तब तक मैं कहीं नहीं जाऊंगी।' 'मां! मुझे राजनर्तकी का पद नहीं चाहिए। तुम मगधेश्वर से कह दो कि कोशा इस पद को नकार रही है।' तत्काल सुनन्दा ने मुसकराते हुए कहा- 'तब तो मुझे कल ही यहां से प्रस्थान कर देना चाहिए।' रूपकोशा मां को देखती रही। मां के चेहरे पर तेजस्विता झलक रही थी। कोशा अपने आसन से उठी और मां के गले से लिपट गई। उसने सिसकते हुए कहा- 'मां! मैं तुम्हारी सहायता के बिना जीवित नहीं रह सकती। तुम्हारे प्रस्थान के पश्चात् मुझे पद-गौरव से क्या करना है?' ___माता ने प्रेम से अपनी पुत्री के मस्तक पर हाथ रखते हुए कहा'बेटी! तू नासमझ तो नहीं है। किसी के माता-पिता चिरकाल तक जीवित नहीं रहते। क्या माता-पिता का आशीर्वाद संतान को जीवित रहने की शक्ति प्रदान नहीं करता? मेरा आशीर्वाद सदा तेरे साथ रहेगा। भगवान तथागत का उपदेश क्यों भुला रही है ? सबको अपने जीवन का कल्याण करना ही चाहिए। मैं तो तुझे भी यही शिक्षा देती हूं कि सांसारिक भोगों का पूरा उपभोग कर लेने पर तू भी आत्म-कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो जाना। बेटी ! तुम्हारी मां एक ऐसे पथ पर अग्रसर होने जा रही है, जो मार्ग सबके लिए काम्य है, अभिलषणीय है। इसमें शोक करने की बात ही नहीं है।' कुछ समय पश्चात् कोशा कुछ स्वस्थ हुई। सुनन्दा ने कहा- 'बेटी! मन को हल्का कर सो जा।' कोशा खड़ी हुई। मां को नमस्कार कर शयनखंड की ओर चली गई। आर्य स्थूलभद्र और कोशा ४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003105
Book TitleArya Sthulabhadra aur Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal C Dhami, Dulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy