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आधुनिक युग एवं अपरिग्रह
अणुब्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी के समक्ष मैंने अपनी एक जिज्ञासा रखी थी कि क्या कारण है कि जिस बिहार प्रदेश में करूणामूर्ति भगवान बुद्ध का धर्मचक्र प्रवर्तन एवं अहिंसा के अवतार भगवान महावीर ही नहीं बल्कि जैन-धर्म के कम से कम २४ में २२ तीर्थंकरों का आविर्भाव हुआ था, जहां प्रियदर्शी अशोक सम्राट ने अहिंसा के आधार पर ही राज्य व्यवस्था संचालन का प्रयोग किया, वहां आज देश में सर्वाधिक हिंसा व्याप्त है ? आधुनिक समय में भी सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने चम्पारण को ही सत्याग्रह का क्षेत्र चुना एवं भूदान-ग्रामदान-यज्ञ रूपी अहिंसात्मक क्रांति के पुरोहित संत विनोबा भावे ने अपने अभियान में सर्वाधिक समय बिहार प्रदेश को ही दिया और अभी-अभी हाल में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भी अहिंसा के आधार पर ही संपूर्ण क्रांति के अभियान के द्वारा लोकतंत्र का सफल पुनरावर्तन किया । किन्तु दुर्भाग्य है कि इसी बिहार में अनुमान के अनुसार लगभग ५० लाख अवैध आग्नेय अस्त्र मौजूद हैं, यहीं पर बेलछी में हरिजनों को जलाया गया, भागलपुर में स्वयं पुलिस ने कथित अपराधियों का अंधाकरण किया, विश्वविद्यालय परिसर में अध्यापक एवं विद्यार्थियों की हत्यायें हुईं, जातिगत उन्माद में सैकड़ों जानें गई, जब साम्प्रदायिक उभाड़ आया तो भी रांची-भागलपुर-जमशेदपुर आदि में हजारों लाशें गिरी, ग्रामीण हिंसा का दृश्य तो और भी भयावह है । नक्सली लाल सेना और भूमि सेना की प्रतिद्वन्द्विता ने तो इसे हत्याओं का प्रदेश बना दिया। राज्य की हिंसा भी किसी से कम नहीं। अभी हाल में अरवल में तो बिहार की पुलिस ने गांव की एक सभा पर अन्धाधुंध गोलियां चलाकर दूसरा जलियानवाला बाग का दृश्य ही उपस्थित कर दिया।
। आचार्यश्री के संकेत से युवाचार्य महाप्रज्ञ ने चर्चा प्रारम्भ करते हुए 'सूयगडो' नामक प्रसिद्ध जैनागम के प्रथम अध्ययन (पढ़मं अज्झयणं) समय (समए) के प्रथम उद्देशक (पढ़मौ उद्देसो) के प्रारम्भ से सुधर्मा-संवाद को उपस्थित किया
१. आमेट (उदयपुर) राजस्थान ।
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