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जैन विद्या रत्न (द्वितीय वर्ष) प्रथम प्रश्न-पत्र
जीव-अजीव (संपूर्ण) समय : ३ घंटा
पूर्णांक : १०० १. केवल भेदों का नामोल्लेख करें
२० धर्मध्यान, शुक्ल ध्यान, चारित्र, भवनपति देव, नरक, द्रव्येन्द्रिय । २.किन्हीं चार की परिभाषा लिखें।
१० कषाय आश्रव, अप्रमाद संवर, भिक्षाचरी, प्रतिसंलीनता, वैक्रिय शरीर,
मनःपर्यवज्ञान । ३. केवल एक-एक वाक्य में उत्तर दें।
१. ग्यारहवें से चौदहवें गुणस्थान तक कौन-सा चारित्र होता है? २. जो आवश्यकता से की जाये वह कौन-सी हिंसा है? ३. धर्मास्तिकाय का गुण क्या है? ४. गति-शक्ति धर्मास्तिकाय में विद्यमान है या जीव और पुद्गल में? ५. अलोक में जीव-पुद्गल क्यों नहीं जा सकते? ६. आकाश का क्षेत्र क्या है? ७. काल वास्तविक द्रव्य नहीं, काल्पनिक द्रव्य है। क्यों? ८. दिन और रात का कौन-सा भाग मुहूर्त होता है? ६. काल के परम सूक्ष्म भाग को क्या कहते हैं? १०. अमूर्त द्रव्यों का बंध क्यों नहीं होता? ११. भाव-प्राण कौन-से हैं? १२. तीर्थंकर द्वारा कथित तत्त्वों को समझने और समझाने में निपुणता
प्राप्त करना क्या कहलाता है? १३. पच्चीस बोल में अट्ठारहवें बोल में "दृष्टि" शब्द का प्रयोग किस
अर्थ में हुआ है? १४. ममत्व से दूर रहना, धर्म पर रुचि रखना आदि किस लेश्या के
परिणाम हैं?
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