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जैन विद्या रत्न (द्वितीय वर्ष)(१९८५) प्रथम प्रश्न-पत्र
पूर्णांक : १००
समय : ३ घंटा
१. केवल नामोल्लेख करें--
२० वायु के पांच भेद, असत्य वचन योग के भेद, आत्मा के आठ गुण, तिर्यञ्चायु बंधने के चार कारण, कर्मों की मुख्य अवस्थाएं, पांचवा, छठा, सातवां, आठवां व नवमा गुणस्थान, बाह्य तप के प्रकार, सात नरक,
सम्यक्त्व के पांच भूषण । २. किन्हीं दस प्रश्नों के उत्तर अति संक्षेप में दीजिये
१५ १. अन्तरालगति का कालमान कितना है? २. देवर्षि कौन-से देवता कहलाते हैं? ३. नीचे के देवों की अपेक्षा ऊपर के देवों में कौन-कौन सी बातें कम
पाई जाती हैं? ४. अन्तराल गति के समय आहार लेने की जरूरत किन जीवों को नहीं
होती?
५. मक्खी-मच्छर किस गति और जाति के जीव हैं? ६. गेहूं, जौ आदि में कितनी इन्द्रियां होती हैं? ७. अनन्त जीव किस काय में होते हैं? ८. अनपवर्तनीय आयु वाले कौन-कौन से जीव होते हैं? ६. कार्मण शरीर का निमित्त क्या है? १०. आत्मा की मुक्ति होने में दो बाधायें कौन-सी हैं? ११. बारहवें गुणस्थान में कितने आश्रवों का निरोध हो जाता है? १२. कौन-कौन से संवर परित्याग करने से नहीं होते? १३. ज्योतिष्क देवों का दण्डक कौन-सा है? १४. आहार-पर्याप्ति को पूर्ण होने में कितना समय लगता है? १५. यथाख्यात चारित्र कौन-कौन से गुणस्थान में होता है? . ३. किन्हीं पांच प्रश्नों का उत्तर संक्षेप में दीजिये- एक प्रश्न का उत्तर एक
पृष्ठ से अधिक न हो।
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