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परिशिष्ट
यह चारित्र ग्यारहवें से चौदहवें गुणस्थान तक होता है ।
सामायिक चारित्र का अंश रूप में पालन करनेवाला, बारह व्रत का पालन करनेवाला व अंश रूप में आरम्भ समारम्भ से निवृत्त होनेवाला, देशव्रती - श्रावक कहलाता है और पांच चारित्रों का यथाविधि पालन करनेवाला साधु कहलाता है।
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