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कैसे सोचें ?
___ आचार्य बाग्भट्ट ने आरोग्य और रोग की व्याख्या करते हुए लिखा- 'दोषाणां साम्यं आरोग्यम् । दोषाणां वैषम्यं रोग:।' दोषों की समावस्था आरोग्य है
और दोषों की विषम अवस्था रोग है। शरीर के तीन दोष माने जाते हैं-वात, पित्त और कफ। दोषों को सर्वथा मिटा देने का अर्थ है मृत्यु । साधारण आदमी यही सोचता है कि इन दोषों को मिटा देना चाहिए। गैस की बीमारी वाला सोचता है कि वायु को समूल नष्ट कर देने से बीमारी मिट जाएगी। इसी प्रकार पित्त और कफ वाला भी सोचता है। जिस दिन वायु समाप्त हो जाएगी तब शरीर नहीं बचेगा। जिस दिन कफ और पित्त से छुटकारा मिल जाएगा उस दिन प्राण से भी छुटकारा मिल जाएगा। वात, पित्त और कफ-तीनों दोष हैं, पर इनके बिना जीवन नहीं चलता। पूरा जीवन इनके आधार पर चलता है। इनको मिटाने की आवश्यकता नहीं है। इनके मिट जाने पर जीवन का संचालन ही नहीं हो सकता। ये दोष बढ़ते हैं, घटते हैं, विषम हो जाते हैं तब रोग उत्पन्न होता है। जब वायु बढ़ जाता है तो एक प्रकार की बीमारी सामने आ जाती है। जब पित्त बढ़ जाता है तो दूसरे प्रकार की बीमारी उभर आती है और जब कफ बढ़ जाता है तब तीसरे प्रकार की बीमारी पैदा हो जाती है। जब ये तीनों घट जाते हैं, कम हो जाते हैं तब भी अनेक बीमारियां उभर आती हैं। इनमें से एक भी घट-बढ़ जाता है तो रोग पैदा कर देता है। इन दोषों की जितनी विषमता है, वह सारी बीमारी है और इन दोषों की जितनी समता है, वह आरोग्य है। आरोग्य का अर्थ होता है दोषों का समीकरण, न न्यून और न अधिक। शरीर संचालन के लिए जितने जरूरी हैं उतने रहें। आचार्यश्री के अनुसार दोषों का सूत्र ही जीवन है।
मानसिक दोषों के विषय में यह कहा जा सकता है कि जब तक हमारे जीवन का संचालन है, हम यह कल्पना नहीं कर सकते कि राग समाप्त हो जाए। यदि जीवन से राग समाप्त हो जाता है तो फिर जीवन कोई दूसरा ही मिलेगा, मिलेगा ही नहीं, फिर तो जीवन-मुक्ति ही मिलेगी। राग के बिना जीवन का संचालन नहीं हो सकता। द्वेष के बिना भी जीवन का संचालन नहीं हो सकता। राग और द्वेष को, सांख्य दर्शन या चरक की भाषा में, रजस् और तमस् गुण कहा जा सकता है। रजोगुण का अर्थ है राग और तमोगुण का अर्थ है द्वेष। ये दोनों गुण हमारे जीवन के संचालक सूत्र हैं। इनके बिना जीवन संचालित नहीं हो सकता। किसी वीतराग को किसी दुकान पर बिठा दिया जाये तो एक दिन भी दुकान चल नहीं सकती। वीतराग को कोई मतलब नहीं होता कि दुकान से कोई चोरी कर माल ले जाता है या पैसे देकर ले जाता है। दुकान रहेगी ही नहीं, वह सिर्फ मकान बन जाएगा।
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