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________________ १४५ हृदय परिवर्तन के सूत्र (२) हृदय परिवर्तन नहीं हो सकता । जागरूकता का सबसे बड़ा परिणाम होता है - अभय । भय को और प्रमाद को मिटाने का सबसे बड़ा सूत्र है - अभय होना । हृदय परिवर्तन के तीन सूत्रों - एकाग्रता, समता और जागरूकता का अभ्यास किये बिना ये स्थितियां निर्मित नहीं होती । जागरूकता का विकास एक क्षण में नहीं हो जाता । जागरूकता कोई आकाश से चू नहीं जाती, टपक नहीं जाती । उसका अभ्यास करना होता है । समता और एकाग्रता का भी अभ्यास करना होता है। ध्यान करने वाले को बाहर से देखकर लगता है कि आदमी निकम्मा बैठा है, पर भीतर में तो एक बड़ी ज्योति जल रही होती है। बड़ा पुरुषार्थ चलता है । बड़ा प्रयत्न चलता है। आंतरिक प्रयत्न, आंतरिक ज्यो और अन्तर का पुरुषार्थ काम करता रहता है । अभ्यास करते-करते समता जाग जाती है, जागरूकता और एकाग्रता बढ़ जाती है । सांझ के समय गमन-योग हो रहा था । बाहर से भाई आये हुए थे 1 उन्होंने कहा- ये सब लोग भोजन पचाने के लिये चल रहे हैं, घूम रहे हैं ।' मैंने कहा, इतना खाया ही नहीं कि चलकर जाना पड़े। इतना मिला ही नहीं बेचारों को कि जिसके लिये दौड़-धूप कर पचाना पड़े । ये सब चलते हुए भी ध्यान का प्रयोग कर रहे हैं कि केवल चलें ! केवल चलें । चलते जायें, चलते जायें-चलने का अनुभव करें। केवल चलने का अनुभव । न कोई चिन्तन न कोई विकल्प, न कोई स्मृति, कुछ भी नहीं । केवल चल रहा हूं । पैर उठ रहा है । दायां पैर उठा, बायां पैर उठा, केवल चलने की स्मृति, केवल एक ही स्मृति और सारी स्मृतियां समाप्त हो जायें । यह गमन - योग है, यह जागरूकता का प्रयोग है। यह भावक्रिया है । जिस समय जो काम करे उस समय उसी का अनुभव रहे। चलते समय चलने का अनुभव, बोलते समय बोलने का अनुभव, बैठते समय बैठने का अनुभव, हाथ उठे तो हाथ के उठने का अनुभव और हाथ नीचे आये तो हाथ नीचे आने का अनुभव, सोये तो सोने का अनुभव, खाये तो खाने का अनुभव। जब इस जागरूकता का निर्माण होता है, तब भ को घुसने को मौका ही नहीं मिलता । भय तब घुसता है जब आदमी मूर्च्छा में होता है। आदमी नींद में होता है तो भय भी सताने लगता है, भूत भी सताने लग जाता है। भूत डरे हुए आदमी को सताता है। जो डरता नहीं उससे भूत स्वयं भाग जाता है। वहां आकर क्या करेगा बेचारा ? उसे तो चाहिए शरण । रहने को मकान चाहिये और मकान भी वह जहां भय का वातावरण बना हुआ हो । अभय में आयेगा तो स्वयं डर जायेगा । डरा हुआ आदमी भूतों के द्वारा पकड़ा जाता है । अभीत आदमी कभी भूतों द्वारा पकड़ा नहीं जाता । I Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003094
Book TitleKaise Soche
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size12 MB
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