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वर्षमान: निद्रा संयम
१. कफ वृद्धि ।
२. शरीर और मन का श्रम ।
३. आगंतुकी — विकृतिजन्य ।
४. रोगानुवर्तिनी - रोग से पैदा होने वाली । ५. स्वाभाविकी - रात्रि में स्वभाव से आने वाली । चरक में कहा गया है
यदा तु मनसि क्लांते, कर्मात्मानः कल्मान्विताः । विषयेभ्यो निवर्तन्ते, तदा स्वपिति मानवः ॥
५.
अनिद्रा : कारण
आयुर्वेद में नींद न आने के, अनिद्रा के, भी कई कारण बतलाए गए हैं
१. वात का प्रकोप
२. पित्त का प्रकोप
३. मानसिक तनाव
४. अभिघात
दिल पर अचानक चोट लगना ।
६. धातुक्षय ।
नींद का विकल्प
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महावीर के न वात का प्रकोप था, न पित्त का प्रकोप था और न मानसिक तनाव या आघात का प्रश्न था । वे इन सबसे मुक्त थे । उन्हें अनिद्रा की बीमारी नहीं थी फिर भी उन्होंने अनिद्रा का जीवन जीया, जागरूकता का जीवन जीया । महावीर निरन्तर जागरूक बने रहे, इसका रहस्य है— उन्होंने नींद का विकल्प खोज लिया ।
जो आदमी नींद का विकल्प नहीं खोज पाता है, उसे नींद बहुत सताती है । अगर व्यक्ति नींद का विकल्प खोज लेता है तो नींद की स्थिति कमजोर बन जाती है । महावीर के पास विकल्प था - भीतर की जागृति । जो व्यक्ति भीतर में जागना सीख लेता है, वह नींद को कमजोर बनाने में सफल हो जाता है। महावीर भीतर में जागरूक बन गए। महावीर जैसा आत्मा जागृत व्यक्तित्व साधना के क्षेत्र में दुर्लभ है । वे निरन्तर एक ही ध्यान में, केवल आत्मा के ध्यान में निमग्न थे । उन्होंने आत्मा के साथ इतनी एकाग्रता स्थापित कर ली, नींद को अवकाश ही बहुत कम मिला । जब नींद को अवकाश मिलता, महावीर आत्मा के साथ जुड़ जाते । आत्मा के साथ
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