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निर्वाणवाद के प्रवक्ता : भगवान् महावीर (१) निर्वाण की परिभाषा
दीपमालिका का दिन भगवान् महावीर के निर्वाण का दिन है । भगवान् महावीर निर्वाणवादी थे । गंधर्वो ने उनकी स्तुति इस भाषा में की-निव्वाणवादीणिह णायपुत्तेज्ञातपुत्र महावीर निर्वाणवादियों में श्रेष्ठ हैं। प्रश्न होता है—निर्वाण क्या है? ____ आत्मा से परमात्मा बनना, इसका नाम है निर्वाण । यह भी एक प्रश्न है—महावीर को श्रेष्ठ माना गया? ईश्वरवादी दर्शनों के अनुसार जो व्यक्ति साधना करके आगे जाता है, उसका निर्वाण नहीं होता, वह परमात्मा नहीं बनता। किंतु वह ईश्वर में विलीन हो जाता है। नदी का पानी चला और वह समुद्र में विलीन हो गया। अब वह नदी का पानी नहीं रहा, समुद्र का एक अंश बन गया । मोक्ष में अस्तित्व विलीन हो जाता है । अद्वैत वेदान्त के अनुसार व्यक्ति ब्रह्म का अंश था, वह ब्रह्म में विलीन हो गया। यह विलय का सिद्धांत है ईश्वरवादी की दृष्टि से ईश्वर में विलय और अद्वैतवादी की दृष्टि से ब्रह्म में विलय होता है। भगवान् बुद्ध निर्वाणवादी हैं । उनका निर्वाण है बुझ जाना। इसका अर्थ है—जो संतति चल रही थी, वह समाप्त हो गई किन्तु संतति की समाप्ति से क्या बचा? इसकी कोई परिभाषा बौद्ध दर्शन से प्राप्त नहीं है । जो जन्म मरण का चक्र था, वह मिट गया, बुझ गया, संतति समाप्त हो गई। इससे आगे निर्वाण की कोई परिभाषा प्राप्त नहीं है। परमात्मा होने का अर्थ
महावीर ने निर्वाण को सम्यक् भाषा प्रदान की। निर्वाण का मतलब है-आत्मा से परमात्मा बनना। निर्वाण का अपना स्वतंत्र अस्तित्व है । व्यक्ति अपने उस स्वतंत्र अस्तित्व में अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति और अनंत आनन्द का अनुभव करता है । परमात्मा होने का अर्थ स्वतंत्र सत्ता का होना है, स्वयं ईश्वर बन जाना है, ईश्वर में विलीन होना नहीं है। निर्वाण का ऐसा सिद्धान्त किसी भी निर्वाणवादी दार्शनिक ने नहीं दिया। इसलिए यह कहना सार्थक हो गया—निर्वाणवादियों में ज्ञात"- श्रेष्ठ हैं। निर्वाण बुझ जाने का सूत्र नहीं है, अस्तित्व के मिट जाने का नाम
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