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________________ ऋषभ और महावीर स्त्री शिक्षा का श्रेय ऋषभ ने शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान दिया। उन्होंने भरत, बाहुबली आदि पुत्रों को पढ़ाया। स्त्री-शिक्षा का सूत्रपात भी उनके द्वारा हुआ। उन्होंने ब्राह्मी को अट्ठारह लिपियां सिखाईं । आज लिपिकला में कौन कुशल है, यह नहीं कहा जा सकता किन्तु ऋषभ ने लिपिकला का अधिकार प्रदान स्त्रियों को सौंपा। लिपिकला के क्षेत्र में पहला स्थान महिलाओं का है और उन्हें यह स्थान ऋषभ ने प्रदान किया। उन्होंने सुन्दरी को गणित विद्या सिखाई। गणित पर भी महिलाओं का अधिकार सुनिश्चित बन गया। स्त्री-शिक्षा के विकास का वह आदि बिन्दु था। मध्ययुग हिन्दुस्तान के लिए अन्धकार का युग रहा। महाभारत युद्ध के बाद ज्ञान-विज्ञान, कला, सभ्यता आदि का ह्रास हो गया। इन सबके जो ज्ञाता थे, वे महाभारत के युद्ध में मारे गए। ऐसी स्थिति में महाभारत का युद्ध हिन्दुस्तान की विद्याओं के लिए अभिशाप बन गया। ऋषभराज्य : रामराज्य वह एक युग था, जब ऋषभ ने अपने घर को संभाला, अपनी प्रज्ञा को संभाला। उन्होंने किसी को असंतुष्ट नहीं होने दिया। कोई व्यक्ति ऐसा नहीं था, जो यह कह सके—मेरा विकास नहीं हुआ, मैंने कुछ नहीं सीखा। वह एक ऐसा स्वर्णिम युग था, जिसमें न कोई भिखारी था, न कोई गरीब था और न कोई अमीर था। उस समय सवा सोलह-आना समाजवाद था। कल्पना करें-जिस युग में पूर्ण समाजवाद विकास पर था, उस युग की व्यवस्थाएं कितनी सुन्दर और सुदृढ़ रही होंगी ! आज रामराज्य प्रसिद्धि पा गया। लोग प्रसिद्धि का सूत्र जानते नहीं हैं । यदि हम रामराज्य और ऋषभराज्य का तुलनात्मक अध्ययन करें तो एक नया प्रकाश मिल सकता है। राम को वाल्मीकि मिल गए, राम-राम बन गए। ऋषभ को कोई वाल्मीकि नहीं मिला। जिस दिन ऋषभ को कोई वाल्मीकि मिल जाएगा, ऋषभराज स्थापित हो जाएगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003093
Book TitleRushabh aur Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size5 MB
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