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________________ ऋषभ और समाज व्यवस्था बनाने का प्रसंग सामने आया। पहला शिल्पी बना कुम्हार और दूसरा शिल्पी बनासुथार । गाड़ी का निर्माण हो गया। इस प्रकार धीरे-धीरे सौ शिल्पकर्मों का विकास होता चला गया। एक नियम है-जैसे-जैसे प्रवृत्ति बढ़ेगी, वैसे-वैसे कर्म बढ़ेगा और साथ-साथ समस्याएं भी बढ़ेगी। ऋषभ ने प्रवृत्ति और कर्म का एक चक्र शुरू कर दिया। भगवान् ने तीन दिशा में विकास को गति दी• बहत्तर कलाओं का विकास • चौसठ स्त्री कला का विकास • सौ शिल्प कर्म का विकास सावध कार्यों का प्रवर्तन क्यों? प्रश्न होता है---ऋषभ ने ये सब कार्य क्यों किए ? जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति के सूत्रकार के मन में भी यह प्रश्न प्रस्तुत हो गया था-ऋषभ ने यह सब कुछ क्यों किया? भगवान् ने ये तीनों काम प्रजा के हित के लिए किए किन्तु भगवान् ने इन सावध कार्यों का उपदेश क्यों दिया? आचार्य हेमचन्द्र के सामने भी यह प्रश्न था—तीन ज्ञान के धारक ऋषभ ने कर्मबन्ध के ये सारे काम क्यों किए? उन्होंने इनका प्रवर्तन किसलिए किया? समाज के लिए इनका विकास करना सावध है, इनमें आध्यात्मिक धर्म नहीं है। यह जानते हुए भी ऋषभ ने जिन कर्मों का विकास किया, उसका कारण क्या था? वहां आत्मानुकंपा का प्रश्न भी नहीं था। इन सबके प्रवर्तन का उद्देश्य क्या हो सकता है ? आचार्य हेमचन्द्र ने एक समाधान प्रस्तुत किया है एतच्च सर्व सावद्यमपि लोकानुकंपया। स्वामी प्रवर्तयामास, जानन् कर्त्तव्यमात्मनः ।। ये सारे कार्य सावध हैं, यह जानते हुए भी अपने कर्तव्य को मुख्यता देकर ऋषभ ने लोकानुकंपा से इन कार्यों का प्रवर्तन किया। धर्म और कर्तव्य ___जब व्यक्ति कर्त्तव्य को ओढ़ लेता है और उसका निर्वहन नहीं करता है तब समस्या पैदा हो जाती है। व्यक्ति कर्त्तव्य को न ओढ़े, यह हो सकता है किन्तु कर्तव्य को ओढ़ने के बाद उससे पीछे हटना, उसका निर्वाह न करना उचित नहीं माना जा सकता। गाय का दूध दुहना है किन्तु घास डालते समय व्यक्ति सोचने लग जाएयह काम मेरे से नहीं हो सकता। यह व्यक्ति की दोहरी मूर्खता है। जिस व्यक्ति को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003093
Book TitleRushabh aur Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size5 MB
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