________________
ऋषभ और महावीर
आधार और आधेय का पहला सम्बन्ध
ऋषभ ने कहा-ऐसे नहीं पकेगा अनाज । हम कैसे पकाएं अनाज को? ऋषभ लोगों के साथ गए। उन्होंने कहा-मिट्टी खोदो? लोगों ने मिट्टी खोद डाली। इसमें पानी डालकर इसका मर्दन करो? लोगों ने ऋषभ के कथन के अनुसार मर्दन किया। इसका चाक बनाओ। वह भी बन गया। उन्होंने चाक से घड़ा बनाने की विधि समझाई । उस विधि से लोगों ने घड़ा तैयार कर लिया। घड़े में अनाज डालो। प्रजा ने घडे को अनाज से भर दिया। इसे आग पर रखो। घड़े को आग पर रखा गया और अनाज भी पक गया।
पहली बार आधार और आधेय के सम्बन्ध का विकास हुआ। इससे पहले न कोई आधार था और न कोई आधेय था । घड़ा आधार है और उसमें जो है, वह आधेय है। आधार को आधेय का सम्बन्ध मिला और एक समस्या को समाधान मिल गया। प्रवृत्ति का चक्र ___ एक समस्या सुलझी परन्तु दूसरी समस्या उत्पन्न हो गई। ऐसा लगता हैऋषभ के वे दिन नित नई समस्याओं को सुलझाने के दिन थे। प्रतिदिन नई समस्या आती और प्रतिदिन उसका समाधान खोजा जाता । घड़ा बन गया, अनाज पैदा हो गया। प्रश्न पैदा हुआ- अनाज का क्या करें? सब जगह अनाज नहीं होता। जहां अनाज नहीं होता है, वहां लोग भूखे मरेंगे। उन तक अनाज कैसे पहुंचाया जाए? संभव है। इस प्रश्न के समाधान स्वरूप गाड़ी का निर्माण हआ होगा। माना जाता है जिस दिन पहिया बना, उस दिन मानव समाज का भाग्योदय हुआ। पहिया हमारी गति का आधार बनता है। गति में त्वरता आ गई। एक आदमी कितना तेज चल सकता है । पहिया बहुत तेज और बहुत भार ढोने का एक माध्यम बन गया। गाड़ी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org