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चक है कि चन्द्रमा का जल के साथ संबंध है। इसीलिए चन्द्रमा मनुष्य के मन गे प्रभावित करता है। ज्योतिषियों ने भी ठीक निर्णय किया था कि मन का वामी चन्द्रमा है। चन्द्रमा मन को प्रभावित करता है। जिनमें कोई संबंध नहीं होता, वे एक-दूसरे को प्रभावित नहीं कर सकते । आज जो प्रभावों की खोज हुई ,, उससे अनेक नये तथ्य उदघाटित हुए हैं।
काकेसस रूस का एक भाग है । वहां के एक वैज्ञानिक ने बताया कि काकेसस में जो भूकंप आते हैं, उनका संबंध सौर-विकीर्णों से है । जब-जब ठीक समय आता है सौर-विकीर्णों का, तब काकेसस में भूकंप शुरू हो जाते हैं। जब सूर्य में विस्फोट होते हैं, तब उसके परिणामस्वरूप भूकंप आने शुरू हो जाते हैं। यह सारा संसार संक्रमण का संसार है । एक द्रव्य दूसरे द्रव्य में संक्रांत होता है । असंक्रांत कोई नहीं है। अप्रभावित कोई नहीं है। हम सब इतने संक्रमणों में से गुज़रते हैं और इतने तत्त्वों से प्रभावित होते हैं कि जिसकी कोई सीमा नहीं है। हम सब प्रभाव-क्षेत्र में हैं। हर बंधी हुई आत्मा, हर कर्मयुक्त आत्मा प्रभाव क्षेत्र में होती है। वह प्रभाव-क्षेत्र से मुक्त नहीं होती। प्रभाव क्षेत्र में रहने वाला कोई भी व्यक्ति बाहरी प्रभावों से मुक्त नहीं हो सकता, संक्रमणों से मुक्त नहीं हो सकता। सौर मण्डल से इतने विकीर्ण आते हैं कि हम उनकी कल्पना भी नहीं कर सकते। समूचे ज्योतिषशास्त्र का यही आधार है। मंगल के विकीर्ण, चन्द्र के विकीर्ण, बुद्ध के विकीर्ण । जितने ग्रह हैं, जितने नक्षत्र हैं, उन सबसे विकीर्ण आते हैं और हम सब उनसे प्रभावित होते हैं। यदि विकीर्णों की बात नहीं होती तो ज्योतिषशास्त्र का आधार ही समाप्त हो जाता। ज्योतिषशास्त्र अवैज्ञानिक नहीं है। यह संभव है कि कोई फलित को ठीक न बता सके। यह सब बताने वाले की अपूर्णता है, न कि ज्योतिषशास्त्र की अवैज्ञानिकता। ज्योतिषशास्त्र की वैज्ञानिकता में कोई संदेह नहीं होता क्योंकि ग्रहों के विकीर्णों का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है।
एक व्यक्ति था। वह रमण विद्या का ज्ञाता था। एक बार वह राजा की परिषद् में गया और अपना परिचय देते हुए कहा- मैं रमण विद्या का ज्ञाता हूं। मैं भूत, भविष्य-सब कुछ बता सकता हूं। राजा ने एक क्षण तक सोचा। अपनी मुट्ठी बंद कर राजा ने पूछा-अच्छा बताओ, मेरी मुट्ठी में क्या है ? उसने अपना गणित किया। ध्यान को एकाग्र किया। उसे लगा कि मुट्ठी में जो है, उसके एक सुंड है, चार पैर हैं और उसका रंग काला है। उसने कहा-राजन् ! आपकी मुट्ठी में हाथी है। सारी परिषद् स्तब्ध रह गयी । मुट्ठी में हाथी। ___ रमणवेत्ता का फलित गलत नहीं था। मुट्ठी में जो चीज़ थी, उसके एक पूंड थी, चार पैर थे और रंग काला था। सब कुछ सही था। किंतु वह इस बात को भूल गया कि मुट्ठी में हाथी कैसे समा सकता है ? वह यह भूल गया
१२० : चेतना का ऊ/रोहण
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