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________________ १० कर्म की रासायनिक प्रक्रिया (१) • अमूर्त आत्मा के साथ मूर्त कर्म का संबंध कैसे ? • दो प्रकार के चित्त-भाव चित्त और पौद्गलिक चित्त । भाव चित्त का संवादी है - पौद्गलिक चित्त और पौद्गालिक चित्त का संवादी है - स्थूल शरीर । • भावकर्म - जैविक रासायनिक प्रक्रिया | • द्रव्यकर्म - सूक्ष्म शरीर की रासायनिक प्रक्रिया | • बन्ध क्या है ? भावकर्म के द्वारा पुद्गलों का व्यक्ति के प्रभाव - क्षेत्र में आना । आत्मा अमूर्त है और कर्म मूर्त। अमूर्त आत्मा के साथ मूर्त कर्म का संबंध कैसे स्थापित होता है, सहज ही यह प्रश्न उभरता है । किन्तु अमूर्त और मूर्त में ऐसा विरोध नहीं है कि अमूर्त का मूर्त के साथ और मूर्त का अमूर्त के साथ संबंध न हो। संबंध हो सकता है । आकाश अमूर्त है, किन्तु आकाश का योग प्रत्येक पदार्थ को मिलता है । पदार्थों के आधार पर आकाश का विभाजन होता है। तर्कशास्त्र का एक प्रसिद्ध वाक्य है - घटाकाश, पटाकाश । आकाश असीम है। फिर भी एक है घड़े का आकाश, एक है कपड़े का आकाश, एक है मकान का आकाश-न जाने आकाश की कितनी सीमाएं बन जाती हैं पदार्थों के आधार पर। आकाश का अवगाह, आकाश का आधार प्रत्येक पदार्थ को मिलता है। आकाश से सब द्रव्य - कर्म की रासायनिक प्रक्रिया ( १ ) : ११३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003090
Book TitleChetna ka Urdhvarohana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1978
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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