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ग्यारह
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६५. अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है ६६. जीवन का संदर साथी मानव को उध्वंगामी बनाता है ६७. सोचने की बात ६८. ज्ञान-कण ६६. प्रभु का दास कभी उदास नहीं होता ७०. परमात्मा को पाना कठिन नहीं इन्सान बनना मुश्किल है ७१. खाली दिमाग शैतान का नहीं, भगवान् का घर होता है ७२. स्वयं जीओ और दुनियां सीखे ७३. मूर्ख पक्षी दाना देखता है, फन्दा नहीं ७४. भोगी भमइ संसारे, अभोगी विप्पमुच्चइ ७५. माया भीतरी पाप है ७६. आयु घट तृष्णा बढ़ ७७. व्यक्तित्व को मांजने-संवारने का उपाय ध्यान है ७८. तोड़ो मत, जोड़ो ८०. दीर्घजीवन की कुंजी ८०. किससे क्या सीखें ८१. रहो भीतर में, जीओ व्यवहार में ८२ अपने आप से लड़ो, दूसरों से लड़ने से क्या ? ८३. सत्य के पुजारी पर परिस्थिति का प्रभाव नहीं पड़ता ८४. एक मां बराबर सौ गुरु ८५. चतुष्कोण ८६. गहराई विजय है, उथलाई हार है ८७. मातृत्व का वरदान ८८. साधक ! ८६. अन्तर में न्यारा रहे ज्यूं धाय खिलावे बाल ६०. नारी केवल मांसपिंड की संज्ञा नहीं है ६१. रोग का आनन्द ६२. आंसू रोको मत ६३. जल्दी सोना जल्दी जगना, स्वस्थ सुखी संतोषी बनना १४. पालने से लेकर कब तक ज्ञान प्राप्त करते रहो ६५. समय कब किसके लिए रूका है ६६. बीच में रहें, अतियों से बचें ६७. स्थान नहीं स्थिति बदलिये, कपड़े नहीं मन बदलिए १८. कषाय मन की मादकता है १६. त्रिकोण
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