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जीवन का सुन्दर साथी मानव को ऊर्ध्वगामी
बनाता है
१ श्रेष्ठ और समान मित्रों की संगति करनी ही चाहिये। २ सफल जीवन जीने के लिए आवश्यक है--स्वास्थ्य, धन, बुद्धि,
मित्रता। ३ सच्चा मित्र वही है जो कुपथ से हटाकर सुपथ में लगाये और
आपत्ति में विशेष प्रेम करे । ४ वह मित्र जो निराशा या उलझन के क्षणों में हमारे साथ शान्त रह सकता हो, जो हमारी दुःख संताप की घड़ियों को बदलने में हमारी अज्ञानता, हमारी निष्क्रियता से सर्वथा विरक्त रहकर हमारे साथ डटा रहता हो और जो हमारी तमाम दुर्बलताओं की वास्तविकता को स्वीकार कर हमारे
साथ बना रह सकता हो, वही है सच्चा शुभचिन्तक' मित्र। ५ वह सच्चा साथी है जिसमें सौहार्द है, वात्सल्य है और व्यथित दिलों को समझने की परख है। उसके पास जाओ दिल-दर्द भरी कहानी सुनाओ, दिल की कालिमा धोने का यह सुनहला मौका है। हृदय-फफोलों को मुक्त होकर फटने दो। स्मृति में छायी हुई घनीभूत पीड़ा को अविरल गति से बहने दो। मस्तिष्क का भार हल्का हो जाएगा और एक सुनहली राह मिलेगी। ६ सहायक उसे बनाओ जिसका मन, वाणी, आभामंडल पवित्र
हो, जिसकी बुद्धि कुशल, निपुण हो । ७ पवित्र व्यक्ति के पास बैठने से पवित्रता बढ़ती है, भाव विशुद्ध
होता है, बीमारी कम होती है। ८ भलों के संग से विष भी अमृत हो जाता है, बुरों के संग से अमृत भी विष में बदल जाता है। गौ मामूली तिनकों से दूध
सरद
योगक्षेम-सूत्र
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