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पराक्रम की पराकाष्ठा
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विकास । इसका परिणाम है-आज वे आलोचनाएं करने वाले प्रशंसक बन
महावीर ने कहा--सहनशीलता से अपने पराक्रम को बढ़ाओ ! शक्ति का विकास करो। शक्ति के अभाव में न आरोग्य टिक सकता है, म ज्ञान
और ध्यान । जीना है शक्ति का जीवन
एक सेठ बहुत संपन्न था पर अस्वस्थ रहता था । सब जगह दिखाया पर लाभ नहीं हुआ। एक पुराने वैद्य के पास गया। वद्य ने कहा-ये गोलियां तुम्हें स्वस्थ कर सकती हैं, पर मेरा अनुपान बड़ा कठिन है। अनुपान यह है-जब पूरे शरीर से पसीना चूने लगे तब यह गोली खानी
__'यह कैसे होगा ?'
_ 'श्रम करो, काम करो, पसीना टपकेगा। जब पसीना टपके तब गोली ले लेना । उस समय यह दवा काम करेगी । सेठ ने श्रम करना शुरू किया, दवा ली और दस दिन में ठीक हो गया।'
जो व्यक्ति श्रम नहीं करता, वह कैसे ठीक होगा? सबसे बड़ा मंत्र है शक्ति का विकास । जिसने अन्तराय कर्म को मिटा लिया, उसने बहुत कुछ कर लिया । हम यह पाठ पढ़ें-जीना है तो शक्ति का जीवन जीना है। हमारी सफलता में सबसे बड़ा विध्न होता है अन्तराय कर्म । उसका क्षयोपशम करना है, उसे. क्षीण करना है । एक शक्ति जागेगी तो सब कुछ जाग जाएगा। यह शक्ति का मन्त्र हमारे हाथ लगे, सब कुछ मिल जाएगा।
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