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मंजिल के पड़ाव
बड़ी सुविधा होती है। हम भाव विवेक, भाषा विवेक और अनेकांत के प्रयोग के द्वारा वाणी की शैली को अनाग्रहपूर्ण और आदरणीय बना सकते हैं। सामाजिक जीवन में मैत्री, पारस्परिक सौहार्द, पारस्परिक समझ-ये सब बातें भाषा विवेक के द्वारा प्राप्त हो सकती हैं। जो भाषा के विवेक को समझ लेता है, वह अपने व्यक्तित्व के विकास का रहस्य-सूत्र समझ लेता है। हम भाषा विवेक का अध्ययन-अनुशीलन करें, प्रयोग करें, हमारे सामने जीवन का नया आयाम प्रस्तुत होगा।
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