________________
आचारांग का समग्र अनुशीलन
२२१
नियम से व्यवस्थित आचार का ग्रन्थ है---आयारचूला। यदि हम आयारो
और आयारचूला को सूक्ष्मता से पढ़ेंगे तो यह अंतर स्पष्ट होता चला जाएगा। आचारांग का हृदय
हम आचारांग का गहराई से अनुशीलन करें, उसमें जो अध्यात्म-सूत्र गुंथे हुए हैं, उन्हें प्रयोग के स्तर पर अपनाएं । ऐसा करके ही हम आचारांग की गहराई में पहुंच सकते हैं, अध्यात्म की गहराई तक पहुंच सकते हैं। जो आयारो की गहराई में पहुंचने में सफल हो जाता है, वह अध्यात्म की गहराई में पहुंचने में सफल हो जाता है। अध्यात्म की गहराई में जाने के लिए आचारांग का समग्र अनुशीलन आवश्यक है। इस आवश्यकता की अनुभूति करने वाला आचारांग के हृदय को पकड़ लेता है, अध्यात्म के हृदय को पकड़ लेता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org