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प्रवचन १५
• सुत्ता अमुणिणो सया मुणिणो सया जागरंति
• लोयंसि जाण अहियाय दुक्खं (आयारो ३/१-२ )
०
छविहे पमाए पण्णत्ते, तं जहा -
मज्जपमाए, हिपमाए, विसयपमाए, कसायपमाए, जूतपमाए, पडिले हणा
( ठाणं ६ / ४४ )
पमाए
● जागरण : अध्यात्म की भाषा
• वह सोया हुआ हैजो मद्यपी है
जो विषयलोलुप है
जो विकथा में रत है
जिसके कषाय प्रबल है
● जागरण का अर्थ
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महासती सीता : जागरूकता का निदर्शन
• नींद के लिए उत्तरदायी रसायनसेराटोनिन, मेलाटोनिन
• द्रव्य नींद : भाव नींद
• अनिद्रा के हेतु - शारीरिक पीड़ा
मानसिक पीड़ा
आध्यात्मिक पीड़ा
• दुःखवाद का महत्त्व • दर्शन की दो धाराएं
संकलिका
• जागरण के सूत्र - दुःख की उत्पत्ति / अनुभूति चिन्ता, विचय-ध्यान
० जागरूक क्यों बनें ?
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