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आठ
जिन लोगों ने प्रवचन सुने हैं और जिन्होंने नहीं सुने हैं, उन सबको योगक्षेम यात्रा का यह पाथेय अहिंसा के विकास की प्रेरणा देता रहेगा और उनकी चेतना के बंद द्वारों को खोलकर प्रकाश से भर देगा, ऐसा विश्वास है ।
१५ सितम्बर, १९८६ महावीर नगर पाली (राज० )
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आचार्य तुलसी
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