SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मस्तिष्क के नियंत्रण का विकास इनके द्वारा वृत्तियों का शोधन होता है। जब वृत्तियां परिष्कृत होती हैं तब जीवन की सारी धारा ही बदल जाती है। मस्तिष्क की नियन्त्रण शक्ति के विकास के ये चार साधन हैं । ये सारे साधन ध्यान की प्रक्रिया से जुड़े हुए हैं। इनमें से एक साधन-'ध्यान' केन्द्र बन जाता है और शेष तीन साधन परिधि में आते हैं । ध्यान को केन्द्र में रखकर यदि हम जीवन की मीमांसा करें तो मुझे लगता है कि हमारा सांसारिक या व्यावसायिक जीवन भी बहुत उन्नत हो सकता है। हिन्दुस्तान और जापान की स्थिति में इतना बड़ा अन्तर क्यों है ? जापान भारत की अपेक्षा बहुत छोटा राष्ट्र है पर वह कहां का कहां पहुंच गया है। उसने जो विकास किया है, वह स्वयं एक आश्चर्य है। भारत इतना बड़ा राष्ट्र होने पर भी क्यों पिछड़ गया? इसका एक कारण है दृष्टिकोण या दर्शन की विपन्नता। आचार्य श्री ने एक बार एक जापानी अधिकारी से पूछा-क्या आप लोग ध्यान करते हैं ? उसने कहा-जापान के निवासी यदि ध्यान छोड़ दें तो वे जी नहीं सकते । आज उनमें जो एकाग्रता का विकास हुआ है, कर्मठता और सहनशीलता आयी है, उन सबकी पृष्ठभूमि में ध्यान ही कार्य कर रहा है। आज जापान में जो झेन सम्प्रदाय चल रहा है, वह ध्यान का ही सम्प्रदाय है। उसका प्रभाव सैनिकों एवं मजदूरों पर अधिक है इसीलिए हमारे देश का मजदूर इतना कर्मठ, श्रमशील और सहिष्णु है कि वह कभी उत्तेजित नहीं होता, श्रम से जी नहीं चुराता, राष्ट्र को हानि नहीं पहुंचाता।। जीवनगत इस परिवर्तन के पीछे ध्यान की कहानी है। हमें आज पुनः समग्रता से सोचना है और ध्यान का सही मूल्यांकन करना है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003084
Book TitleAvchetan Man Se Sampark
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy