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________________ भाव और अध्यात्मविद्या १०६ बनना चाहिए, योगी बनना चाहिए। केवल मोक्ष प्राप्ति के लिए नहीं, शांतिमय और सुखमय जीवन जीने के लिए भी योगी बनना आवश्यक है। आज प्रत्येक व्यक्ति के पास इतने अधिकार आ गए हैं कि अध्यात्म के बिना उन पर नियंत्रण नहीं रखा जा सकता। पुराने जमाने में जो अधिकार एक राजा के होते थे, वे अधिकार आज एक सामान्य व्यक्ति के पास हैं। इन अधिकारों का दुरुपयोग न हो, शक्तियों और वैज्ञानिक उपलब्धियों तथा उपकरणों का दुरुपयोग न हो, सदुपयोग हो इस दृष्टि से भी आज पूरे समाज को ध्यानी वनने की आवश्यकता है। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का एकमात्र समाधान ध्यान है, अध्यात्म है। जो व्यक्ति केवल क्रियाकांडों और उपासनाओं के द्वारा धर्म के हृदय तक पहुंचना चाहते हैं, वे भटक जायेंगे-'नो हब्बाए नो पाराए'-वे न इधर के रहेंगे और न उधर के रहेंगे। आज यह सद्यस्क अपेक्षा है कि हम सतह में न रहें। सागर के बीच गहरी डुबकियां लें । डुबकियां लेने वाला अमूल्य रत्नों को उपलब्ध कर सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003084
Book TitleAvchetan Man Se Sampark
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size9 MB
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